वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खुदाई करने के वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश का खंडन करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ASI सर्वे रोका.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रयागराज की इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने बनारस की वाराणसी सिविल कोर्ट (Varanasi Civil Court) के द्वारा दिए गए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ASI सर्वे करवाने के आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर की खुदाई के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन अब इस पर रोक लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है की यह ‘वर्ष 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन’ है.
बता दें की 1991 की तत्कालीन कोंग्रेस सरकार के कैबिनेट ने ‘पूजा स्थल अधिनियम’ लागू कर दिया था. इस अधिनियम में यह लिखा गया की 15 अगस्त 1947 से पूर्व यानि पहले के किसी भी धर्मस्थल को दूसरे धर्मस्थल में नहीं बदला जा सकता, परन्तु इस आदेश में से अयोध्या के रामजन्मभूमि स्थल को किनारे किया गया था क्योंकि यह मामला उस समय कोर्ट में था. बाद में उस मुद्दे को 2019 में समाप्त करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भूमि राम लला के भक्तों को सौंप दी.
गौरतलब है की इतिहासकार मानते हैं की वर्तमान में जहां ज्ञानवापी मस्जिद स्थापित है, वहां पर 1664 से पहले भगवान महादेव को समर्पित एक ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ स्थापित था. परन्तु 1664 में मुगुल शासक ओरंगजेब ने इसे तुड़वाकर यहां एक मस्जिद बना दी. बता दें की ज्ञानवापी हिंदू शब्द है और काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर में ही स्थापित था. इतना ही नहीं बल्कि आज भी मस्जिद के गुम्बद पौरोणिक हिंदू मंदिर की तरह दिख रही दीवारों पर टिका हुआ है. मंदिर पक्ष की मांग है कि वास्तविकता जानने के लिए ज्ञानवापीमस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराया जाए. जिससे सच्चाई बाहर आ सके.
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