उत्तराखंड में धामी सरकार जबरन धर्मांतरण को लेकर काफी सख्त दिखाई दे रही है, सीएम धामी ने इसको लेकर एक बयान में कहा कि ये बेहद घातक चीज है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तराखंड में धामी सरकार ने राज्य विधानसभा में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 पेश कर दिया है। इस विधेयक को सर्वसम्मति व ध्वनि मत से पारित भी किया जा चुका है। इस विधेयक में जबरदस्ती धर्मांतरण के दोषियों के लिए 10 साल तक की कड़ी सजा और 50 हजार रुपए तक के कड़े जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। वहीं इसके साथ-साथ महिलाओं को 30% आरक्षण वाला विधेयक भी पारित किया जा चुका है।
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बताया जा रहा है कि राज्यपाल की मोहर के बाद ये तमाम विधेयक कानून के रूप में बदल जाएँगे। बता दें उत्तराखंड की धामी सरकार के इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद जबरदस्ती धर्मांतरण पूरी तरह से संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध हो जाएगा। एकल धर्मांतरण कराए जाने पर अपराध के दोषियों को न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 7 साल की कड़ी सजा होने वाली है। साथ ही सामूहिक धर्मांतरण पर 3 से 10 साल की कड़ी सजा होगी।
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प्राप्त जानकारियों के मुताबिक इन सब के साथ-साथ अवयस्क महिला, दलितों व जनजातियों के एकल धर्मांतरण पर 3 से 10 साल तक की कड़ी सजा और 25 हजार रुपए का कड़ा जुर्माना तथा सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल तक की कड़ी सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यहाँ तक कि धर्मांतरण के आरोपितों के विरुद्ध सख्ती से निपटने के लिए नए विधेयक में दोषियों को कम से कम 5 लाख रूपए की मुआवजा राशि का भी भुगतान करना पड़ सकता है। यह मुआवजा पीड़ित को दिए जाने की खबर है।
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