धार्मिक संगठन प्रशासक समिति (रजि. एकात्मता एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी) ने एक बार फिर से भारत पर थोपी गई विदेशी पहचानों के खिलाफ आवाज उठाई है।
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक 22 मई 2021 रविवार को भारत पर थोपी गई विदेशी पहचानों के खिलाफ धार्मिक संगठन प्रशासक समिति (Prashasak Samiti) ने एक अभियान चलाया और यह अभियान काफी हद तक सफल भी रहा। इस अभियान में लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ट्विटर पर “#टोपी_के_नीचे_क्या” हैशटैग भी चलाया, यह हैशटैग कल के दिन टॉप ट्रैंड तक भी गया था।
In 1669, demon Aurangzeb issued a decree and got the Kashi Vishwanath temple demolished. Aurangzeb had built the Gyanvapi Mosque on the site of the temple.#टोपी_के_नीचे_क्या
Remove1991WorshipActpic.twitter.com/aNvAjuMoH2— प्रशासक समिति (@OfficialTeamPs) May 22, 2022
आपको बताते चलें की इस ट्रेंड के विषय में प्रशासक समिति के मार्गदर्शक मंडली के वरिष्ठ सदस्य मनीष जी भारद्वाज ने समय निकालकर खास बातचीत में कुछ बातें स्पष्ट की, इस ट्रेंड के नाम को लेकर उन्होंने कहा “अभी जैसा की ज्ञानवापी की जानकारी सामने आई है, एक ओर मस्जिद है जामा मस्जिद उसकी भी जानकारी सामने आ रही है, ताजमहल के बारे में लोग कुछ बोल रहे हैं, लाल किले के बारे में बोल रहे है, ऐसी बहुत सी जगहों के बारे में जानकारियां निकल रही हैं।”
Let’s start now Trend#टोपी_के_नीचे_क्या
Remove1991WorshipActpic.twitter.com/tCFE467vR6— लादु गुर्जर एकात्मिता शोशल वेल्फेयर सोसायटी (@Ladu_Gurjar1) May 22, 2022
उन्होंने आगे बताया की “सोशल मीडिया पर एक चलचित्र वायरल हो रहा है, जिसमें एक टोपी उठाओ तो नीचे राम मंदिर निकल रहा है, दूसरी उठाओ तो काशी विश्वनाथ, यही सब चीजें देखके लोगों के दिमाग को पढ़कर हमने ये हैशटैग रखा।” उन्होंने आगे बताया की सबसे बड़ी बात यह है की ये हैशटैग तीन दिनों तक ट्रेंड किया, केवल एक दिन नहीं। लोगों इसे जिस तरह सपोर्ट किया, ये सबसे बड़ी बात है।
The Muslim armies of Bidar, Bijapur and Ahmednagar attacked the temples of Hampi in 1565. Along with breaking the temple here, all the property was also looted.#टोपी_के_नीचे_क्या
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Vgbpic.twitter.com/TXjkCQ7KHs— 🚩🌏विश्व गुरु भारत🌏🚩#प्रशासक_समिति✊🚩 (@vishvguru_bhart) May 22, 2022
इस ट्रेंड के उद्देश्य को लेकर मनीष जी भारद्वाज ने कहा “हमारा उद्देश्य बस इतना ही है की आज के लोगों तक यह बात पहुंचे की मुगलों ने कैसे इस देश की सांस्कृतिक धरोहरों को मिटाने की चेष्टा की थीं, जहां देश में इतनी सारी जमीन थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने किस मानसिकता के तहत हिंदुओं के मंदिरों को ध्वस्त किया और उसके ऊपर एक गुंबदनुमा टोपी रख दी। तो ये सच्चाई हम देश के लोगों को बताना चाहते हैं।”
Hope after Court order The Nandi will be able to see Shiva after 350 years ago…
Such a long time..#टोपी_के_नीचे_क्या
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PZ108pic.twitter.com/BqaLzzghFw— प्रशांतझुरमुरे#प्रशासक_समिति🚩जयश्रीराम🚩 (@jXQci5biIlEnwhr) May 22, 2022
गौरतलब है की मनीष जी ने इस बात को स्पष्ट किया की इस ट्रेंड के पीछे हम किसी भी धर्म समुदाय विशेष को टारगेट नहीं कर रहे हैं, हम लेकर विदेशी हमलावरों की सच्चाई बता रहे हैं, यह एक राष्ट्रीय विषेय है ना की कोई धार्मिक विषय। उन्होंने इस बात की भी पुष्टि करी की समिति के तमाम सदस्यों की विचारधारा भी इसी प्रकार की है, हम राजनीति नहीं करते और ना ही नफरत का काम करते हैं।
Acharya Satyendra Das, the head priest of Ramlala, claimed that all the evidence at the place where the evidence has been collected is related to the temple. #टोपी_के_नीचे_क्या
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PZ108pic.twitter.com/SXLVG8Z5K0— प्रशांतझुरमुरे#प्रशासक_समिति🚩जयश्रीराम🚩 (@jXQci5biIlEnwhr) May 22, 2022
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