जब भी बात हिंदू राष्ट्र की आती है तो कॉंग्रेस का रिएक्शन कुछ बड़ा नहीं होता, इसी क्रम में सांसद शशि थरूर ने कहा, “भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना इतना आसान नहीं”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है। उन्होंने इसे वक्त की जरूरत बताया है। हालाँकि, उनका मानना है कि ये सब देश की बहुसंख्यक आबादी के हिसाब से नहीं होना चाहिए। वहीं थरूर ने भारत को 2047 तक हिंदू राष्ट्र बनाए जाने के मुद्दे पर कहा कि ये इतना आसान नहीं है।
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इतना ही नहीं कॉन्ग्रेस नेता ने देश में नया संविधान लाए जाने के मुद्दे पर चल रही बहस पर भी बयान दिया है। उनका मानना है कि देश में कोई भी सरकार नया संविधान नहीं लाएगी। ये बिल्कुल भी आसान नहीं है। हाँ इतना अवश्य किया जा सकता है कि सरकारें इसके कुछ प्रावधानों को नजरअंदाज कर सकती हैं। दरअसल, थरूर Business Today India @ 100 सम्मेलन में शामिल होने के लिए आए थे। इसी दौरान उन्होंने ये बयान दिए।
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बिजनेस टुडे के फोरम से अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हुए शशि थरूर ने बीजेपी पर अप्रत्यक्ष तरीके से निशाना साधा और कहा कि खुद को हिन्दुत्ववादी मानने वाले संविधान को नहीं मानते। थरूर कहते हैं कि ऐसे लोगों को लगता है कि इस धरती पर आने वाला व्यक्ति अगर हिंदू नहीं है तो वो या तो मेहमान है या फिर विदेशी आक्रमणकारी। इनकी मानसिकता ही गैर हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखने की है। कॉन्ग्रेस नेता के मुताबिक, वक्त बदला है और आरएसएस की विचारधारा में भी थोड़ा सा बदलाव आया है, लेकिन अभी भी उनका (आरएसएस) ये मानना है कि जो भी इस धरती से नहीं हैं, उन्हें यहाँ से चले जाना चाहिए।
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इसके साथ ही सेक्युरिज्म के मुद्दे पर थरूर का दावा है कि है भारत हजारों सालों से सेक्युलर देश रहा है। अगर संविधान से इस शब्द को हटा भी दिया जाय तो भी कई अनुच्छेद ऐसे है, जो देश को सेक्युलर बनाते हैं। हालाँकि, थरूर की इस बयानबाजी पर पलटवार करते हुए लेखक और अर्थशास्त्री हर्ष गुप्ता मधुसूदन कहते हैं कि भारत हमेशा से ही हिंदू राष्ट्र रहा है। सेक्युलर शब्द को संविधान में जोड़ देने से ये देश सेक्युलर नहीं हो जाता है। वो कहते हैं कि भारत अगर आज सेक्युलर है, तो केवल हिंदू समुदाय के कारण। हर्ष गुप्ता के मुताबिक, जहाँ भी हिन्दू समाज रुक गया, वहाँ से सेक्युलरिज्म का अंत हो गया। उन्होंने बंगाल और पंजाब का उदाहरण भी दिया।
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