अखिलेश यादव की पार्टी सपा के नेता इक़बाल महमूद ने कहा की “मुसलमान जनसंख्या नहीं बढ़ा रहे हैं बल्कि इसके पीछे प्रमुख कारण दलित और आदिवासी हैं”.
उत्तर प्रदेश में अगले साल मार्च में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन चुनावों से पहले ही वहां का वातावरण गरमाया हुआ है. इसी क्रम में पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के एक नेता और वर्तमान में विधायक इक़बाल महमूद ने एक विवादित बयान जारी कर दिया है. उन्होंने अपने बयान में कहा की “केंद्र और राज्य सरकार बढ़ती हुई जनसंख्या पर मुस्लिमों को बेवजह बदनाम कर रही है, बढ़ती जनसंख्या का कारण मुसलमान नहीं बल्कि दलित और आदिवासी हैं”.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सपा विधायक इक़बाल महमूद ने कहा की “सरकारें तो अब जनसंख्या कानून की आड़ में मुसलमानों पर वार कर रही हैं. अगर सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाती है तो समाजवादी पार्टी विरोध करेगी, हम लोग तो खुलकर विरोध करेंगे. इसके बाद जनसंख्या कानून का हाल भी एनआरसी ही हो जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का मुद्दा चुनाव के कारण उछाला है. यदि कानून बनाना ही था तो देश की संसद में पास कराते”.
इक़बाल महमूद ने अपने बयान में आगे कहा की “यह सब भाजपा की वोट बैंक की रणनीति का हिस्सा है. भाजपा इसके जरिए समाज को बांटकर अपना वोट बैंक मजबूत करना चाह रही है. असम में जब एनआरसी यानि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर काम शुरू हुआ तो यदि हजार मुसलमान इसके जद में आए तो दस गुना यानी दस हजार हिंदू आबादी भी प्रभावित हुई तो कानून ठंड बस्ते में चला गया. असम में अनुसूचित जाति व जनजाति की संख्या ज्यादा है. जनसंख्या नियंत्रण कानून खासकर मुसलमानों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. सच्चाई यह है कि इस कानून से सबसे ज्यादा हिंदू समाज प्रभावित होगा. यह चुनावी समय का कानून है और इसे केवल वोट के लिए लाया गया है. भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है और वह कोई भी कानून ला सकते हैं, बना सकते हैं. महंगाई और पेट्रोल मूल्य वृद्धि आदि मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा को कुछ न कुछ करना था तो वह कर रही है”.
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