राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आश्वासन दिया की “1989-90 कश्मीरी हिंदुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम साबित होगा”.
विश्व के सबसे बड़े संगठन RSS यानि की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कश्मीरी हिंदुओं का होसला बढ़ाया, दरअसल इसके पीछे का कारण यह है की घाटी से विस्थापन के तीन दशक बाद पहली बार कश्मीरी हिंदुओं ने हिंदू नववर्ष नवरेह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया.
दत्तात्रेय होसबाले ने कही बड़ी बात
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस शौर्य दिवस के अवसर पर आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा की “कश्मीरी हिंदुओं की ओर से अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें विश्वास है, अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उत्साहित कश्मीरी हिंदुओं की ओर से इस बार उत्साह के साथ हिंदू नववर्ष को नवरेह को मनाया गया”.
अपने बयान में उन्होंने कहा की “कश्मीरी हिंदुओं को कई बार विस्थापित होना पड़ा, 1989-90 में कश्मीरी हिंदुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम विस्थापन साबित होगा”. उन्होंने कहा की “कश्मीरी हिंदुओं ने पिछले कई दशकों से त्याग, बलिदान किया और उन्होंने संकट सहते हुए जिस तरह से धर्म की रक्षा की, वह इतिहास में एक उदाहरण है”.
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बलिदानियों को याद किया
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले बलिदानियों को याद करते हुए कहा की “टीका लाल टपलू जी, जस्टिस नीलकंठ गंजू, सरला भट्ट व प्रेम नाथ भट्ट आदि कश्मीर में कितने ही लोग मजहबी उन्माद का शिकार हो गए, उनका केवल यह अपराध था कि वो हिंदू जन्मे और कश्मीर में रहे”.
उन्होंने संकल्प के बारे में बोलते हुए कहा की “संकल्प में शक्ति होती है और जब संकल्प राष्ट्र धर्म और समाज के लिए हो तो उसमे शक्ति सौ गुणा बढ़ जाती है”. उन्होंने वीरों को याद करते हुए कहा की “विदेशी आक्रांताओं से हमारे पूर्वज सदियों तक संघर्ष करते रहे लेकिन कभी हार नहीं मानी, जैसे शिर्य भट्ट ने त्याग और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया था और वैसे ही ललितादित्य ने शौर्य की मिसाल पेश की थी, इन हस्तियों के जीवन से शिक्षा लेकर इसका अनुसरण भी आवश्यक है”.
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