हिंदू देवी-देवताओं की जाति बताने वाले मामले में एक ओर इंस्पेक्टर के खिलाफ हिंदू संगठनों ने आक्रोश दिखाया, उनके एक आपत्तिजनक व्हाट्सएप स्टैटस पर बवाल खड़ा हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ‘कोई भी देवता ब्राम्हण नहीं’ शीर्षक वाली एक खबर की कटिंग को अपने व्हाट्सएप का स्टेटस बनाना एक पुलिस अधिकारी को भारी पड़ गया है। हालात ये है कि अब उसे स्टेटस लगाने के चक्कर में सफाई देना पड़ रहा है। खास बात ये है कि पुलिस अधिकारी ने जो व्हाट्सएप स्टेटस लगाया है उसका लिंक अब सीधे तौर पर वामपंथियों के गढ़ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से जुड़ गया है।
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ये घटना उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के इज्जतनगर थाने की है। यहीं के थाना प्रभारी हैं संजय धीर। उन्होंने न्यूज की एक कटिंग को अपने व्हाट्सएप का स्टेटस लगाया। इसका शीर्षक था, ‘कोई भी देवता ब्राम्हण नहीं’। ये खबर जेएनयू की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलीपुड़ी से जुड़ी है, जिसमें उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं पर जातिगत टिप्पणी की थी। इसमें लिखा था कि कोई भी देवता ब्राम्हण नहीं है।
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शायद ये मामला दम तोड़ देता, लेकिन इंस्पेक्टर के व्हाट्सएप स्टेटस लगाने पर ये मामला सामने आ गया। उनके इस स्टेटस को कई मीडिया संस्थानों ने हाथों हाथ लिया। खबर मिलते ही हिन्दू संगठनों ने जिले के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज से मिलकर इंस्पेक्टर पर जातिगत भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की माँग की। अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा के जिलाध्यक्ष गजेंद्र पांडेय ने पुलिस अधिकारी पर जानबूझकर ऐसा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि स्टेटस लगाने का अर्थ है कि इंस्पेक्टर ने कुलपति की बातों का समर्थन किया है।
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उनका कहना है कि ऐसा करके पुलिस अधिकारी ने समाज को बांटने का काम किया है। इस बयान के बाद उनका थाने पर बने रहना समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। वहीं मामला बढ़ने के बाद पुलिस अधिकारी ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया है। संजय धीर का कहना है कि उनका किसी जाति विशेष को अपमानित करने जैसा कोई भी इरादा नहीं था।
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