बॉलीवुड (Bollywood) के ट्रेजेडी किंग (Tragedy King) यानि दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का 98 साल की उम्र में ही 7 जुलाई की सुबह निधन हो गया.
भारतीय फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का निधन आज सुबह यानि की 7 जुलाई 2021 की सुबह के लगभग 7 बजे हो गया, इस समय उनकी उम्र 98 वर्ष थी. ट्रेजेडी किंग (Tragedy King) पिछले लंबे समय से ही बीमार चल रहे थे, परन्तु पिछले कई दिनों से लगातार बार – बार उन्हें मुंबई के अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा था. उनके निधन की पुष्टि डॉक्टर पार्कर के करी. उनकी मृत्यु मुंबई के ही खार हिंदुजा अस्पताल हुई है.
With a heavy heart and profound grief, I announce the passing away of our beloved Dilip Saab, few minutes ago.
We are from God and to Him we return. – Faisal Farooqui
— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) July 7, 2021
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार दिलीप कुमार को पिछले एक महीने में दो बार अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. पांच जुलाई को ही दिलीप कुमार के ट्विटर हैंडल से उनकी हेल्थ पर अपडेट दिया गया. दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो द्वारा बयान में कहा गया था कि दिलीप कुमार की तबीयत में सुधार हो रहा है. वह अभी भी अस्पताल में ही हैं, आप उन्हें अपनी दुआओं में रखें. लेकिन इस हेल्थ अपडेट के दो दिन बाद ही दिलीप कुमार इस दुनिया को अलविदा कहकर चले गए. बता दें की दिलीप कुमार को आज शाम 5 बजे मुंबई के जुहू कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.

दिलीप कुमार के जीवन की बात करें वह किसी ट्रेजेडी फिल्म से भी कम नहीं रहा. विक्की पीडिया की जानकारियों के मुताबिक उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर में हुआ. उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री (Indian film Industry) में एक अद्भुत पहचान भी बनाई हैं. वे भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है. हिंदी फिल्मों में त्रासद या दु:खद भूमिकाओं में सक्षम और मशहूर होने के कारण उन्हें ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से भी जाने जाना लगा. गौरतलब है की कुमार सर को को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है.

दिलीपकुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान है. उनका जन्म पेशावर तत्कालीन ब्रितानी भारत में हुआ था. उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहां उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया. उन्होंने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हे हिन्दी फ़िल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिले. उन्होंने 1966 में अभिनेत्री सायरा बानो से निकाह किया. विवाह के समय उनकी उम्र 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं. 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी करी थी. वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य है. बता दें की 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया. 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1998 में उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ प्रदान किया गया.

फिल्म जीवन की बात करें तो दिलीप कुमार की पहली फ़िल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 में आई. 1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, बता दें की इस फ़िल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया. इसके बाद दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण वे ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर हुए. मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई, विशेष बात ये भी है की यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम (Black and White) थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. उन्होंने 1961 में गंगा जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया. 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम ही फ़िल्मो में काम किया, इस दौर की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी:- विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991). वर्ष 1998 में बनी फ़िल्म ‘किला’ उनकी आखरी फ़िल्म थी, उन्होंने रमेश सिप्पी की फ़िल्म ‘शक्ति’ में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ भी काम किया. इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला, वे आज भी प्रमुख अभिनेताओ जैसे शाहरूख खा़न के प्रेरणास्रोत्र बने हुए हैं.

उनके नीजी जीवन पर चर्चा करें तो उनकी पत्नी का नाम सायरा बानो हैं, जब इनकी शादी हुई तो सायरा दिलीप से आधी उम्र की थी. न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार सायरा ने बताया की दिलीप उनके फेवरेट हीरो थे, 16 साल की उम्र में एक बार जब वे उनकी फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर पहुंची थी, मगर वे वहां नहीं आए और तब सायरा बहुत निराश भी हुई. जिसके बाद सायरा ने भी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया, इस दौरान दोनों जब आमने सामने आए तो दिलीप ने सायरा से कहा की “तुम बहुत खुबसुरत हो” यह सुनने के बाद सायरा बहुत खुश हुईं. तभी से सायरा ने सोच लिया था की वे शादी सिर्फ दिलीप से ही करेंगीं. सायरा बानो की मां भी चाहती थी कि दिलीप कुमार और सायरा की शादी हो जाए. इसे लेकर जब उन्होंने बात की तो दिलीप कुमार अपने से इतनी छोटी लड़की से शादी करने को तैयार नहीं थे. सायरा को यहां तक कह दिया कि “क्या तुम्हे मेरे सफेद होते बाल नहीं दिख रहे” मगर प्यार में दीवानी सायरा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. धीरे-धीरे मुलाकातों के बाद दिलीप कुमार को भी सायरा से इश्क हो गया और 1966 में शादी कर सभी को चौंका दिया. शादी के समय सायरा 22 की थीं तो दिलीप कुमार 44 के थे. सायरा बानो और दिलीपकुमार को शादी के बाद कई तरह की दिक्कते आईं लेकिन हर मुश्किल में दोनों हमेशा साथ रहें. जीवन के आखिरी क्षणों तक सायरा और दिलीप की आंखों और दिल में एक दूजे के लिए प्यार था. बता दें की जब पिछली बार दिलीप कुमार बीमार हुए थे तब लोगों ने उनकी मौत की झूठी अफवाह फैलाई थी, मगर सायरा बानो डटी रही और उन अफवाहों का जब कर जवाब भी. ये उनका दिलीप सर के प्रति अटूट प्रेम ही है जो उनके जीवन के अंतिम क्षणों तक साथ जुड़ा रहा. बता दें की जब दिलीपकुमार ने अपनी अंतिम साँस ली तब भी सायरा उनके साथ ही थी. सायरा ने तो जीवनभर साथ निभाने का वादा पूरा किया.

न्यूज़कप (newscup.in) की पूरी टीम की ओर से भी महापुरुष दिलीप कुमार सर को भावपूर्ण नमन, इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
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