महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर में देश के अलावा विदेश से भी लोग अपनी कुंडली से मंगल दोष का निवारण करवाने आते हैं.
भगवान शिव की नगरी कही जाने वाली उज्जैन में चमत्कारिक मंदिरों का भंडार है, जिनमें से एक हैं भगवान मंगलनाथ मंदिर. माना जाता है की इस मंदिर में लोग अपनी कुंडली से मंगल दोष से निवारण के लिए आते हैं, इस सूचि में केवल भारत के नागरिक भी नहीं है बल्कि दुनिया भर से लोग यहां आकर अपनी कुंडली में बैठे मंगल से नितार पा लेते हैं. यह मंदिर सहस्त्राब्दियों पुराना है और इसका इतिहास पौरोणिक कथाओं में भी मिलता हैं.
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ऑपइंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मत्स्य पुराण में इस मंदिर के बारे में लिखा मिलता है की भगवान मंगलनाथ की यही जन्म स्थली है. बताया जाता है की बहुत समय पहले अंधकासुर नामक दैत्य को भगवान शिव का वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंदों से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे. इसी वरदान के चलते अंधकासुर पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा. इस पर सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना करी. बाद में भगवान शिव ने यह निर्णय लिया की अब वे स्वयं इस दानव से युद्ध करेंगें.
महादेव और अंधकासुर के बिच भयंकर युद्ध हुआ, जिससे महादेव को पसीना आने लगा और पसीने बूंदों से धरती फटने लगी जिससे ही मंगल का जन्म हुआ. इस नवउत्पन्न मंगल ग्रह ने दैत्य के शरीर से उत्पन्न रक्त की बूंदों को अपने अंदर सोख लिया. इसी कारणवश मंगल का रंग लाल माना गया है. बता दें की स्थानीय मान्यताओं का मानना है की भगवान मंगलनाथ के रूप में स्वयं देवों के देव महादेव शिव ही यहां विराजित हैं. यह मंदिर बहुत पुराना है लेकिन इसके जीर्णोद्धार का श्रेय सिंधिया राजघराने को जाता है. सम्पूर्ण उज्जैन ही सनातन ज्ञान का एक महान केंद्र है लेकिन महाकाल मंदिर और मंगलनाथ दोनों ही खगोल अध्ययन के केंद्र भी माने गए हैं.
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