भारत की सत्ता धारी मोदी सरकार ने सोशल मीडिया साईट ट्विटर (Twitter) को मिलने वाले क़ानूनी संरक्षण को आदेश ने मानने के कारण खत्म कर दिया है.
डूपोलिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार ने भारत देश में लागू किए गए नय आई. टी. नियम (New IT Rules) को ट्विटर द्वारा न मानने के कारण इस कम्पनी को मिलने वाले क़ानूनी संरक्षण को खत्म कर दिया है. बता दें की क़ानूनी संरक्षण के खत्म होते ही उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के नेत्रत्व में चल रही योगी सरकार ने फेक न्यूज़ फ़ैलाने के कारण ट्विटर के खिलाफ़ एक FIR दर्ज की हैं और इसी के साथ ही ट्विटर जैसी साईट पर FIR दर्ज करने वाला UP पहला राज्य भी बन गया.
बता दें की इस संरक्षण के अंतर्गत ट्विटर पर होने वाले किसी भी आपत्तिजनक पोस्ट के लिए ट्विटर के बजाए वह धारक जिम्मेदार है, ना की ट्विटर खुद. सोशल मीडिया प्लेटफार्म उपलब्ध कराने वाली कम्पनी पर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती क्योंकि भारत मे इन कम्पनियों को IT Act की धारा 79 के तहत ‘जिम्मेदारी’ से छूट मिली हुई है. लेकिन अब सरकार ने ट्विटर की मनमानी के चलते उसके सर से हाथ हटा लिया है. इसी के साथ ट्विटर ने अब भारत में इन्टरमीडियरी प्लेटफॉर्म का दर्जा खो दिया है.
Twitter loses status as intermediary platform in India due to non-compliance with new IT rules.
Now onwards, instead of being considered as just a platform hosting content from various users, Twitter will be directly editorially responsible for posts published on its platform. pic.twitter.com/SkXKG5Uxs5
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) June 16, 2021
जानकारियों के मुताबिक बताया जा रहा है की भारत में अब ट्विटर केवल एक प्रकाशक के रूप में माना जाएगा, ना की मध्यस्थ के रूप में. इसके चलते ट्विटर अब आईटी अधिनियम और साथ ही देश के दंड कानूनों सहित किसी भी कानून के तहत दंड के लिए स्वयं उत्तरदायी होगा. विभिन्न उपयोगकर्ताओं से सामग्री की होस्टिंग करने वाला केवल एक प्लेटफॉर्म माना जाने की बजाय, ट्विटर अब अपने प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हर पोस्ट और ट्वीट के लिए सीधे ‘संपादक’ के रूप में जिम्मेदार होगा. अब यदि कोई उपयोगकर्ता ट्विटर पर गैर-कानूनी या भड़काऊ पोस्ट करता है तो इस मामले में ट्विटर को भी आरोपित बनाया जा सकता है.
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