पिछले कुछ समय में अपने पति से पीछा छुड़ाने के लिए मुस्लिम महिलाएं ‘खुली प्रथा’ में दिलचस्पी दिखा रही हैं। इस लेख में आपको बताएंगे कि ये ‘खुली प्रथा’ आखिर होती क्या है?
जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम महिलाएं तलाक लेने के लिए खुला प्रथा का अधिक इस्तेमाल कर रही हैं। इमरत-ए-शरिया के दारुल कज़ा या इस्लामी मध्यस्थता केंद्रों में उपलब्ध डेटा से पता चलता है कि तलाक के अधिकांश मामले खुला प्रथा के माध्यम से दायर किए जाते हैं। महिलाओं की एक बड़ी संख्या खुला के माध्यम से अपनी शादी समाप्त करने का विकल्प चुन रही है।
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आखिर क्या होती है ‘खुली प्रथा’
अकसर तलाक को पुरुषों द्वारा लिया जाता है लेकिन खुला प्रथा के मामले में महिलाएं तलाक की पहल करती हैं। इस प्रथा में महिलाएं अपनी मेहर को भी सरेंडर कर देती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तलाक की पहल महिला की ओर से की गई है। खुला प्रथा का पालन “खुलनामा” नामक दस्तावेज के अनुसार मौखिक रूप से किया जाता है।
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एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक पटना के प्रसिद्ध इमरत-ए-शरिया में शादी और तलाक के मुद्दों को तय करने के लिए जिम्मेदार प्रमुख काजी अंजार आलम कासमी ने बताया, “पिछले इस्लामिक वर्ष में 2021-22 के अनुरूप, हमारे पास इमरत शरिया मरकज़ में 572 मामले थे। लगभग सभी मामले केवल मुट्ठी भर मुबारत के मामलों के साथ खुला के थे और तीन तलाक का कोई मामला नहीं था।”
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आलम कासमी केवल इमरत शरिया मुख्यालय (Imarat Sharia Headquarters) की बात कर रहे थे। बिहार-झारखंड में ऐसे सभी केंद्रों के आंकड़े एक बड़ी तस्वीर दर्शाते हैं। 2020-21 में लगभग 1443 इस्लामिक कैलेंडर के अनुरूप सभी दारुल कज़ाओं में लगभग 5,000 खुला के मामले थे। यह डेटा दिल्ली और मुंबई में एक समान बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।
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वहीं दारुल काज़ा समिति के अध्यक्ष अज़ीमुद्दीन सईद ने बताया, “2019 से 2021 तक मीरा रोड (मुंबई) पर दारुल काजा में खुला के 300 मामले थे। मुंबई शहर में हाल के वर्षों में 900 मामले सामने आए हैं। मुंबई में पांच दारुल कज़ा हैं। इन केंद्रों पर हर साल 300 खुला मामले सुलझाए जाते हैं। अधिकतम मामले लगभग 100, मुंबई शहर के केंद्र से आते हैं।”
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गौरतलब है कि इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की पूर्व सदस्य उज्मा नाहिद ने द हिन्दू से कहा, “वे खुला के मामलों में भी आदमी के अधिकार पर जोर देते हैं। उसके अनुसार, अगर आदमी सहमत नहीं है तो खुला पूरा नहीं किया जा सकता है। यदि कोई महिला अपमानजनक विवाह से बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पाती है तो यह खुला के उद्देश्य को विफल कर देती है।”
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