IAS इफ्तिखारुद्दीन के वीडियो वाले मामले को अब SIT को सौंप दिया गया है, जिस पर AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी फिर से भड़क गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तर प्रदेश के एक IAS अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन के वीडियोस वाले मामले पर अब सरकार ने SIT का गठन कर जांच के आदेश दे दिए हैं. दरअसल IAS इफ्तिखारुद्दीन के उन वीडियोस में वे सरकारी आवास में बुलाकर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने का पाठ पढ़ा रहे हैं और मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्मांतरण गैंग से कनेक्शन होने की आशंका जताई जा रही है, इन वीडियोस देखा और सूना जा सकता है “पूरे दुनिया के इंसानों को बताओ इस्लाम को आगे बढ़ाओ” आप भी इस वीडियो को यहां से जरुर देखें:-
राष्ट्रीय अध्यक्ष मठ मंदिर समन्वय समिति ने सीएम योगी @myogiadityanath से की शिकायत pic.twitter.com/kP7ng5GVKF
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) September 27, 2021
अब यह मामला SIT को सौंपा जा चूका है और जांच भी शुरू हो गई है, लेकिन हमेशा की तरह AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताई है और ट्विट कर कहा “उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ आईएएस के 6 साल पुराने वीडियो की जाँच करने के लिए एसआईटी (SIT) का गठन किया. यह वीडियो उस समय का है जब यह सरकार सत्ता में भी नहीं थी, इससे यह स्पष्ट है कि उन्हें धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है”. उनके मुताबिक IAS को धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया है, उन्हें मुस्लिम होने की वजह से निशाना बनाया गया.
Uttar Pradesh govt set up an SIT to ‘investigate’ a 6 year old video of senior IAS Iftekhar sb. The video has been taken out of context & is from a time when this govt wasn’t even in power. This is blatant targeted harassment based on religion 1/2
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 29, 2021
If the parameter is that no officer should be connected to religious activity then prohibit use of all religious symbols/images in offices. If merely discussing faith at home is a crime then punish any officer participating in public religious celebration
Why double standards?2/2— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 29, 2021
AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी यहीं नहीं रुके और उन्होंने अपने बयान को जारी रखते हुए कहा “अगर पैरामीटर यह है कि किसी भी अधिकारी को धार्मिक गतिविधि से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, तो कार्यालयों में सभी धार्मिक प्रतीकों/छवियों के इस्तेमाल पर रोक लगाएँ. यदि घर में अपने धर्म की चर्चा करना अपराध है तो सार्वजनिक धार्मिक उत्सव में भाग लेने वाले हर अधिकारी को दंडित करें. यह दोहरा मापदंड क्यों?”
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