कल 25 जून थी और इसी दिन 32 सालों पहले मोगा में RSS के 25 स्वयंसेवकों ने आतंकियों से भिडंत के दौरान अपने प्राण देश के लिए अर्पण कर दिए.
ऑपइंडिया की ख़ास रिपोर्ट के अनुसार खालिस्तानी और जिहादी आतंकवाद हो या नक्सलवाद या फिर दुश्मन देशों की गुप्तचर एजेंसियाँ… आखिर इनमें साझा क्या है? उत्तर है – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. संघ इनका स्वभाविक और साझा दुश्मन है. देश में जब भी, जहाँ भी और किसी भी तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधि होती है, तो संघ स्वत: इनके सामने आ खड़ा होता है. इसी कारण आज से 32 साल पहले पंजाब के मोगा में RSS कार्यालय पर आतंकियों ने 25 जून 1989 को हमला किया जिसमें कुल 25 स्वयंसेवकों ने राष्ट्रहित के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया.
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शहीद स्मारक से जुड़े पदाधिकारी डॉ राजेश पुरी ने इसी अमानवीय घटना पर बात करते हुए कहा की “आतंकवादियों ने संघ का ध्वज उतारने के लिए कहा था, लेकिन स्वयंसेवकों ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया और उनको रोकने का यत्न किया था. किसी की बात न सुनते हुए आतंकवादियों ने अन्धाधुन्ध फायरिंग करनी शुरू कर दी थी, जिसमें 25 कीमती जानें गईं थीं. इस घटना ने न केवल पंजाब में हिन्दू-सिख एकता को नवजीवन दिया बल्कि आतंकवाद पर भी गहरी चोट की क्योंकि घटना के अगले ही दिन उस जगह दोबारा शाखा लगी, जिससे आतंकियों के हौसले पस्त हो गए और हिन्दू-सिख एकता जीत गई”.
आज आपको उन सभी 25 स्वयंसेवकों के नाम भी बताने वाले हैं, उस दिन आतंकियों से लोहा लेते हुए लेखराज धवन, बाबू राम, भगवान दास, शिव दयाल, मदन गोयल, मदन मोहन, भगवान सिंह, गजानन्द, अमन कुमार, ओमप्रकाश, सतीश कुमार, केसो राम, प्रभजोत सिंह, नीरज, मुनीश चौहान, जगदीश भगत, वेद प्रकाश पुरी, ओमप्रकाश और छिन्दर कौर (पति-पत्नी), डिंपल, भगवान दास, पण्डित दुर्गा दत्त, प्रह्लाद राय, जगतार राय सिंह और कुलवन्त सिंह ने अपना अतुल्य बलिदान दिया.
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