कल 4 जुलाई को हम सब ने भारत के महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया, लेकिन क्या आप जानते हैं की स्वामी जी इस्लाम को किस नजर से देखते थे।
ऑपइंडिया की एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के शिकागो में आयोजित हुए विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक सम्बोधन को 127 वर्ष पूरे हो चुके हैं। आइए, इस दौरान हम 19वीं सदी के महान संत के एक और उल्लेखनीय सम्बोधन के बारे में आपको बताते हैं। ‘विश्व के महान शिक्षणगण’ शीर्षक वाले इस सम्बोधन को उन्होंने फ़रवरी 3, 1900 को कैलिफोर्निया के पासाडेना में स्थित शेक्सपियर क्लब में दिया था।
लीना ने पहले तो माँ काली का अपमान किया, फिर कैसे हिंदुओं के मुंह पर तमाचा मार रही है: देखें पूरा वीडियो👇👇https://t.co/rhlN32GbxZ
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आपको बताते चलें की इस दौरान उन्होंने पैगम्बरों और उनके संदेशों का विश्लेषण धर्म के सन्दर्भ में किया था। इसमें उन्होंने इस्लाम और मुस्लिमों को लेकर बात की थी। इस दौरान उन्होंने इस सोच को नकार दिया था कि मेरा पैगम्बर ही एकमात्र पैगम्बर है। बता दें की स्वामी जी केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व उन्हें बहुत महान बताता था।
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वहीं स्वामी विवेकानंद जी अपने उस सम्बोधन में कहा “आप सोचते हैं कि आपको वास्तविकता, दिव्यता और ईश्वर का भान है, और ये सब कुछ एक ही पैगम्बर में देखते हैं और बाकी किसी और में नहीं, तो मैं ये निष्कर्ष निकालता हूँ कि आप किसी में भी दिव्यता को नहीं समझ पाते हैं। आपने सीधे शब्दों को निगल लिया है और एक समुदाय में बँध गए हैं। जैसे पार्टी-पॉलिटिक्स में होता है।”
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गौरतलब है की विवेकानंद का कहना था कि ऐसा विचारों के मामले में हो सकता है लेकिन धर्मों के मामले में ये ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कोई एक अकेला पैगम्बर ही सत्य का रूप नहीं हो सकता। उन्होंने कहा था कि हर पैगम्बर को कुछ न कुछ कार्य पूरा करना था और उन्होंने विश्व को ईश्वर का संदेश दिया। उन्होंने कहा था कि अगर कोई समझता है कि उसका पैगम्बर अकेला पैगम्बर है तो वो धर्म को नहीं समझता।
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उनका कहना था कि धर्म वाद-विवाद, थ्योरी या बौद्धिक सहमति नहीं है। वो मानते थे कि धर्म हमारे हृदय के अंदर की एक वास्तविकता का एहसास है, ईश्वर को छूने जैसा है। उन्होंने आगे कहा था कि ये खुद के एक आत्मा होने का एहसास है, जो बताता है कि हम भी इस वैश्विक परमात्मा के ही एक भाग हैं और ये उसकी सभी अभिव्यक्तियों को समझा देता है।
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उन्होंने इसे दृढ़ एहसास का क्षण करार दिया था। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा था “मैं एक पैगम्बर बन जाऊँगा। ईश्वर का बच्चा बन जाऊँगा। प्रकाश का वाहक बन जाऊँगा… नहीं। मैं स्वयं ईश्वर बन जाऊँगा।” वहीं आपको बता दें की आज से 3 वर्ष पहले सत्य सनातन संस्था के संस्थापक श्री अंकुर आर्य जी ने भी अपने एक वीडियो के माध्यम से ये बताया था की स्वामी जी की नजरों में इस्लाम एक गिरोह है, आप भी देखिए यह वीडियो:-
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