भारत में विदेशी आक्रान्ताओं के गुणगान करने वालों की कमी नहीं हैं, औरंगजेब के बाद अब टीपू सुल्तान का भी महिमामण्डल शुरू हो गया है। लेकिन अंदर का सच कुछ ओर ही बात कहता है।
ऑपइंडिया की विशेष रिपोर्ट के मुताबिक टीपू सुल्तान को अक्सर ‘टाइगर’ बता कर उसका महिमामंडन किया जाता है। मैसूर पर शासन करने वाले इस आक्रांता की याद में जयंती तक मनाई जाती है, जबकि उसकी क्रूरता के किस्से इतिहास में दर्ज हैं। ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के लिए भाजपा विरोधी दलों ने उसे अपना नायक बनाया हुआ है और कर्नाटक में उसके नाम पर चुनाव जीतने की कोशिश होती है। देखिए पूरा वीडियो:-
आपको बताते चलें की ‘Tiger: The Life of Tipu Sultan‘ नामक पुस्तक में इतिहासकार केट ब्रिटलबैंक ने टीपू सुल्तान के हरम के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने इस किताब में लिखा है कि 1799 में श्रीरंगपट्टम स्थित टीपू सुल्तान के हरम में 601 महिलाएँ थीं। ये महिलाएँ सिर्फ टीपू सुल्तान की ही नहीं, बल्कि उसके अब्बा हैदर अली की भी थीं।
टीपू सुल्तान के हरम में 600 महिलाएं! ब्राह्मण बच्चियों को बनाता था मुसलमानhttps://t.co/1smDQvZi84
— News Cup (@NewsCup_IN) July 14, 2022
वहीं इनमें से 333 महिलाएँ टीपू सुल्तान की थीं और 268 महिलाएँ उसके अब्बा हैदर अली की। हैदर अली की मौत के बाद भी वो महिलाएँ उस हरम में थीं। ‘जनाना’ की रखवाली के लिए नपुंसकों/हिजड़ों (Eunuchus) को रखा गया था। (ध्यान दिलाते चलें की मीडिया संस्था न्यूज कप इन सभी तथ्यों की पूर्णत: पुष्टि नहीं करता है, ये लेख केवल जानकारियों के आधार पर लिखा गया है)
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गौरतलब है की इस्लामी शासनकाल में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं, जहाँ ‘जनाना’ की रखवाली के लिए पुरुषों को नहीं रखा जाता था बल्कि ऐसे लोगों को रखा जाता था, जो ये तो नपुंसक थे या फिर नपुंसक बना दिए जाते थे। टीपू सुल्तान के हरम में शामिल इन महिलाओं में उसके परिवार की सदस्य, कई रखैलें और कामकाज के लिए रखी गई महिलाएँ भी शामिल थीं।
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