RSS प्रमुख ने विजयादशमी के शुभ अवसर पर संबोधन देते हुए सभी हिंदुओं से एकजुट होने की अपील करी है और धर्मांतरण व मंदिरों पर हो रहे कब्जों को लेकर भी आगाह किया.
15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को विजयादशमी मौके पर नागपुर में एक संबोधन के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में अपने विचार सर्वसमक्ष रखे, इस दौरान उन्होंने कहा ‘विभिन्न उपायों और तरीकों से पिछले दशक के दौरान जनसंख्या में काफी कमी आई है, लेकिन 2011 में हुई जनगणना का विश्लेषण करने से पता चलता है कि धार्मिक आधार पर जनसंख्या असंतुलन बढ़ा है. ऐसे में एक बार फिर से जनसंख्या नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है”.
मोहन भागवत ने आगे कहा “जनसंख्या वृद्धि में आए अंतर, धर्मान्तरण और विदेशी घुसपैठ आने वाले दिनों में गंभीर खतरा बन सकता है. साल 1952 में ही भारत ने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की घोषणा की थी, लेकिन वर्ष 2000 में जनसंख्या नीति और जनसंख्या आयोग का गठन हो सका. वर्ष 2011 में 0-6 आयुवर्ग के धार्मिक आधार पर मिले आँकड़ों से असमान सकल प्रजनन दर और बाल जनसंख्या अनुपात का पता चलता है”.
संघ प्रमुख ने कहा “इस समय काल में भारत में उत्पन्न हुए मत के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 प्रतिशत रह गया है, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या का अनुपात 9.8 फीसदी से बढ़कर 14.23 फीसदी हो गई है. अरुणाचल प्रदेश में भारत में उत्पन्न पंथों के लोगों की संख्या 1951 में 99.21 प्रतिशत थी, जो 2001 में घटकर 81.3 प्रतिशत और 2011 में 67 प्रतिशत पर आ गई है. वहीं, राज्य में ईसाई जनसंख्या में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसी तरह से मणिपुर में यह जनसंख्या 1951 में 80 फीसदी थी, जो 2011 में 50 फीसदी रह गई”. उन्होंने यह भी कहा “सेक्युलर होकर भी व्यवस्था के नाम पर हिंदू मंदिरों को दशकों और शताब्दियों तक हड़पा गया है. यह बहुत जरूरी है कि मंदिरों का नियंत्रण हिंदू भक्तों के ही हाथों में रहे और उसके धन का इस्तेमाल भी हिंदू समाज के कल्याण के लिए ही हो”
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